Thursday 11 August 2016

Hindi steno

                       हिंदी स्टेनोग्राफी
          आज के इस समय में देखा जा रहा है कि भारतीय युवा कई क्षेत्रों में अपने कदम बड़ा रहे हैं बावजूद, इसके आज सचवीय पद्धती एवं श्रुत लेखन जैसे क्षेत्र में विद्यार्थीयों का रुख नहीं है इसलिये, आज-कल श्रुत लेखन से संबंधित पाठ्य साम्रगी का अभाव ना केवल क्षेत्रीय बाजार अपितु इंटरनेट में भी है इस अभाव को दूर करने हेतु इस पेज को बनाया गया है जिससे विद्यार्थीयों को अभ्यास,स्टेनो से जुड़ी सूचनायें एवं सबसे महत्वपूर्ण ऑडियो डिकटेशन (RECORDING) एक दम मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही हैं उम्मीद है कि आप सभी विद्यार्थीयों को इससे अपने अभ्यास में काफी मदद मिल सकती है इसका प्रयोग करें और इसे अपने मित्रों को भी सूचित करें।।। 


ऑडियो रिकार्डिंग की लिंक जल्द ही दी जायेगी......

विष्ट अभ्यास 2 -   https://www.mediafire.com/?knbaj3pbcczny0w

                                                                                             अनुवाद 

         उपाध्यक्ष जी , मैं शुरू में यह निवेदन कर देना चाहता हूं कि राष्ट्रपति पद और राष्ट्रपति के लिये मेरे दिल में बड़ा आदर है इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिये। लेकिन जब मैंने इस भाषण को पड़ा तो मुझे घोर निराशा हूई है और मुझे याद आता है कि इस तरह का भाषण आज तक इस सदन में पेश नहीं किया गया यह उम्मीद नहीं थी हमको की राष्ट्रपति के भाषण में इस तरह की बात कहीं जायेंगी। राष्ट्रपति के भाषण में यह उम्मीद की जाती है और देश चाहता है कि देश के सामने जो मौलिक प्रश्न हैं आगे आने वाले वर्ष में उनको कैसे हल किया जायेगा। इसकी कुछ रूप रेखा मिले इस बात का कोई संकेत इस में नहीं है कौन से ऐसे प्रश्न हैं। आज देश का सबसे मौलिक प्रश्न है यहां की गरीबी का, क्या सरकारी पक्ष के लोग इसको नकार सकते हैं कि यह प्रश्न नहीं है सरकारी पक्ष से जो जवाब आयेगा तो वह उसमें बतायेंगे लेकिन इस में तो कोशिश यह हुई है कि किस तरह से गरीबी और बड़े इसके ज़रीये उल्टी गंगा बहाई जा रही है। यह जिससे जो मैं पहले कहने जा रहा हूं कि इस सदन में और यहां से देश उम्मीद करता था कि जो पार्टी पावर में है और जिसको देश की जनता ने चुनकर भेजा है और उसने भेजा है तभी आप वहां कुछ न कुछ करेंगे देश की गरीबी मिटाने के लिये लेकिन आप कुछ करीये तो। मैं पहला आदमी हो ऊंगा जो आपका साथ देगा लेकिन आप कुछ भी नहीं कर सकते है यह मैं जानता हूं कहां आपकी ताकत है और कहां आपका कलेजा कांपता है इसमें मैं नहीं जाना चाहता लेकिन मैं उसे जानता हूं इस गरीबी को मिटाने के लिये इस भाषण में कुछ नहीं है और जो बातें इस में दि गई है इनमें केवल 40 मुद्दे है इसमें पहला तो परिचयात्मक और अंत में सदस्यों का स्वागत किया गया है बाकि 38 मुद्दों में से एक भी मुद्दा ऐसा नहीं है जिससे सरकार इस देश की गरीबी को मिटा सकती हो कहीं कुछ नहीं है और जो बातें दि गई है,राष्ट्रपति के भाषण में यह तो अखबारों में रोज छपती हैं और अकसर छपती ही रहती हैं। मुझे ऐसा महसूस होता है कि सरकार को इस विषय पर सोचने के लिये पूरा समय नहीं मिला है और अगर मिला है तो जल्दि-जल्दि इसको लिखा गया है,इसलिये कि कुछ बातें दे दें और उनको ही राष्ट्रपति के मूह से कहलावा दें। अगर सच्चाई के साथ सोचा जाता तो हो सकता है कि इसमें पहला मुद्दा यह होता कि इस तरह से देश की गरीबी को मिटाया जा सकता हैमैं यह जानना चाहता हूं कि उसको आप एक दिन में नहीं मिटा सकते लेकिन इस दिशा में आपकी तबज्हू होनी चाहिये जो दिखाई नहीं देती।